चेहरा बहुत कुछ कहता है
जब शून्य होता है
विचारों से
भावों से
आशा से
उत्साह से
तब वह
शून्यकोण बनाता है
चेहरा बहुत कुछ कहता है
बोलता नहीं मौन रहता है
फिर भी बहुत बातें करता है
बताता है
मनोव्यथा की परतें
उधेड़ता खोलता है।
चेहरा बहुत कुछ बताता है।
जब मन में
उमंग होती है
उत्साह बसता है
आशा फलती है
विश्वास पनपता है
जब मन
चहँकता है
गुंजार करता है
गीत गाता है
तान भरता है
तब चेहरा
एक सौ अस्सी अंश पर
घूमता है
गतिमान रहता है
यह भी शून्यकोण है
पर यहाँ
कोण होता है
शून्य नहीं
क्योंकि गतिमान है अक्ष यह
अतः
चेहरा बहुत कुछ बताता है
विना वीणा और स्वर के
सप्तस्वर गाता है
चेहरा बहुत कुछ बताता है।
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