फोटो साभार:गूगल |
पेड़ों के झुरमुट से
कोयल बोलती है
ताल के किनारे
पनडुब्बी अंडे देती है।
बच्चे पलते हैं
बड़े होते हैं और
ठीक पनडुब्बी की तरह
पास की बाँस की कोठी में
अपना अड्डा जमाते हैं।।
कोठी के पार
भयानक साँप रहता है
कभी - कभी फुफकारता है
कभी कभी दिखायी पड़ता है
सभी बड़े भय के साथ उसे
'फेटारा' कहते हैं
हम उसे बस बड़ा विषैला
साँप समझते हैं।
पनडुब्बी बड़े जतन से
छुपकर अपने अंडे देती है
उसे विषधरों से बचाती है
और सलीके से सेती है।
उसमें से नन्हें चूजे निकलते हैं
जो तुरंत चलना भी नहीं जानते
पनडुब्बी उनको
चलना सिखाती है
और ताल के पार की
गीली जमीन पर पैर रख
पनडुब्बी के बच्चे
चलना सीखते हैं।
फिर चलते-चलते वे
ताल के पानी में तैरना सीखते हैं
लहरों से कल्लोल करना सीखते हैं।
और फिर बन जाते हैं पनडुब्बी की तरह
ताल के लक्षण।
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