Thursday, November 23, 2017

गेंदाफूल

शीत का सहज स्पर्श पाकर
खिल उठा गेंदाफूल। 
धरती ने पहन लिया फिर
गाढ़ा हरा रंग-बिरंगा दुकूल।। 
प्रकृति में बिखर गया पराग
जागा शलभों में अनुराग। 
विहँस उठा प्रकृति का कण-कण
अँगड़ाई लेने लगी अँगीठी की आग।। 
तितलियाँ पीने लगीं मकरंद 
आ रहे उनके वृंद के वृन्द
जगती जगती मधुसिक्त हुयी
पाकर फूलों की मधुर गन्ध।। 


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