कुछ लोग वसंत की तरह होते हैं
शुष्क पछुआ और आर्द्र पुरवाई
उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते
अपितु उनकी सुगंध औ पराग का
प्रसार करते हैं
संस्कार करते हैं।
कुछ लोग पतझड़ की तरह होते हैं
सुखद समीर भी
उनको सम्हाल नहीं पाता
और उनके विनाश में करण बन जाता है
खनकती खरकती पत्तियों को गिराता है।
शुष्क पछुआ और आर्द्र पुरवाई
उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते
अपितु उनकी सुगंध औ पराग का
प्रसार करते हैं
संस्कार करते हैं।
कुछ लोग पतझड़ की तरह होते हैं
सुखद समीर भी
उनको सम्हाल नहीं पाता
और उनके विनाश में करण बन जाता है
खनकती खरकती पत्तियों को गिराता है।
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