Monday, June 25, 2018

इतना विनीत नहीं

तुम चन्द्रमा हो
एक उपग्रह
चमकते हो
सूर्य की ऊर्जा से।
तुम चाहे
तारे बनकर
टिमटिमाओ
या फिर
धूमकेतु बन जाओ।
तुम उनकी
शोभा बढ़ाओ।
उनका यश गाओ
अपनी ज्योत्स्ना से
जितना चाहे नहलाओ।।
पर...
हम सूर्य हैं
केन्द्र हैं
धुरी हैं
परिधि भी हैं
हम जानते हैं
अपना त्रिज्या और व्यास
पहचानते हैं अपने अन्तस् का प्रकाश।
हम स्वयं जलते हैं
धधकते हैं
और स्वयं प्रकाशित होकर
अपनी किरणों से
जग प्रकाशित करते हैं।
हमारा प्रकाश
क्रीत नहीं है।
इसीलिए हम
निरर्थक महिमामण्डक
और आवश्यकता से अधिक
विनीत नहीं हैं।

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