Monday, June 25, 2018

हे चमेली तू हियां न फूलेव

हे चमेली तू हियां न फूलेव
हियां तोहार कौनौ मोल नाहीं
ई बहुत सून फुलवरिया
हियां न कौनौ आवाजाही।।
हे चमेली तू हियां न फूलेव
कौन नैन देखिहें तुहँका
के सूंघे नकुना मा तोहार सुगंधवा
के गुहिकै बनाये तोहार मलवा
केहकै मोहिहौ तू हिय-मनवा ?
हम फूलब यही बना उपवनवा
हम फूलब यही बन निर्जनवा
हमरे मोल का जनिहें जीव सब
उनहीं कै होये आवाजाही
ई हमार धरम कि हम फुलाई
चाहै फुलाई कै माटिम मिलि जाई।
फूलत हमका हियां बनदेवी देखिहैं
हमरे सुगंध का मन भर सुँघिहैं
फूल चुनि चुनि कै माला गुहिहैं
माला पहिन कै प्रसन्न वै होइहैं।
जीवन हमार धन्य होइ जाई
तौ बोलौ काहे न हियां फुलाई ?

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