लाभ-हानि
जय-पराजय
यश-अपयश
जीवन-मरण
संसार का वह सत्य है
जिससे संसार चलता है
सृष्टि होती है
इसमें किसी एक का
न होना
संसार का रुकना है
प्रलय की ओर
बढ़ना है
सृष्टि का अंत है
अतः
अंधकार को सहन करने का
धैर्य होना चाहिए
उस छोर पर
प्रकाश प्रतीक्षा जो
कर रहा है।
Thursday, December 26, 2019
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यथार्थ
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माँ-बाप का दुत्कारत हैं औ कूकुर-बिलार दुलारत हैं यहि मेर पुतवै पुरखन का नरक से तारत है ड्यौढ़ी दरकावत औ ढबरी बुतावत है देखौ कुलदीपकऊ ...
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खिड़कियों से झाँककर संसार निहारें हम ऐसा हमारे बड़ों ने संसार सौंपा है। अपनी भोगलिप्सा से पञ्चतत्त्व प्रदूषित कर हमें चुनौति...
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