गहन निशा है
तिथि अमावस
न सूझता कुछ
बेबस अन्तस् ॥
पर है एक टकटकी
एक आस
जीवन की लौ
ज्योति की लकीर
बदल देगी तकदीर
सुबह की लाली
लिखेगी नयी गाथा
उस ऊर्जा में खो जायेगा
जीवन का अमावस
गहन निशा
और तिरोहित होगी
सारी व्यथा ॥
3 comments:
प्रकृति के चक्र हैं ,
होगी सुबह फिर से
नया सूरज तुम्हारी राह में
किरणें बिछा देगा ...
बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...!!!
यथार्थ से परिचय कराता आपका यह आलेख बहुत ही अच्छा लगा।बहुत ही सुदर अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट Dreams also have life पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
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