कौन कहता है कि
व्यक्ति के पास
कोई सन्दूक नहीं है
कोई मंजूषा नहीं है
कोई पुरानी डिबिया नहीं है
कोई डिब्बा नहीं है
कोई बंद बक्सा नहीं है
कोई गठरी नहीं है
कोई पोटली नहीं है
कोई तिजोरी नहीं है...
... हर व्यक्ति के पास
अनुभवों को बंद किये
स्मृतियों की चाबी लिये
एक तिजोरी है
जिसके खुलते ही व्यक्ति
विगत में खो जाता है
कितना भी मधुर-कटु वर्तमान हो
वह कुछ पल के लिए
मधुरिम हो जाता है।
व्यक्ति के पास
कोई सन्दूक नहीं है
कोई मंजूषा नहीं है
कोई पुरानी डिबिया नहीं है
कोई डिब्बा नहीं है
कोई बंद बक्सा नहीं है
कोई गठरी नहीं है
कोई पोटली नहीं है
कोई तिजोरी नहीं है...
... हर व्यक्ति के पास
अनुभवों को बंद किये
स्मृतियों की चाबी लिये
एक तिजोरी है
जिसके खुलते ही व्यक्ति
विगत में खो जाता है
कितना भी मधुर-कटु वर्तमान हो
वह कुछ पल के लिए
मधुरिम हो जाता है।
1 comment:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (26-03-2018) को ) "सुख वैभव माँ तुमसे आता" (चर्चा अंक-2921) पर होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
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