Thursday, October 9, 2008

जिनकी कोई पहचान नहीं होती

उन्हें जब कभी मैंने जानना चाहा

वो उतने ही गुमनाम और दुरूह

बनते गये

उन्हें जितना अधिक मैंने पहचानना चाहा

वो उतने ही धूमिल होते गये

पता नही क्या राज़ है

उनका की पहचान भी पहचान नही सकती उनको

कब तलक हम पहचानने की कोशिशों मे

लगे रहेंगे दिन-रात उनकी

जिनकी कोई पहचान नहीं होती ।

1 comment:

Anonymous said...

उनको कब तलक हम पहचानने की कोशिशों मे लगे रहेंगे दिन-रात उनकी जिनकी कोई पहचान नहीं होती ।

bahut hi gambheer rachana, khas taur se uprokt lines.

--------------------"Vishal"

यथार्थ

रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...