आइये होलिका जलायें, प्रह्लाद बचायें ,
असत्य भार भस्मकर सत्य-ज्योति जलायें ।
मिटाकर आलस्य, जड़ता, क्लान्ति-श्रान्ति,
नव उमंग, नव-तरंग ले आगे कदम बढ़ायें ॥
सत्य का स्थापन हो, असत्य का समापन हो ।
मिलजुल रहें सब स्नेहमय अपनापन हो ॥
नवल का संधान हो, नूतन विहान हो ।
हर तान समवेत कर, बस फागुनी तान हो ॥
सप्तरंग वसुन्धरा, वसन्तमयी है धरा ।
तिक्तता त्याज्य हो, धैर्य धार्य मधुरा ॥
रंग-बिरंगी प्रकृति, मकरन्द मधुर महक रहा ।
कोयलिया कुहुँक रही, खगकुल चहँक रहा ॥
रंग-बिरंगा हृदय हो, रंग-बिरंगी भावनायें ।
जन-जन को होली की हार्दिक शुभकामनायें ॥
9 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!
होली की ढेर सारी शुभकामनायें आपको भी...
होली की शुभकामनाएँ...
आपको भी होली मुबारक हो ....
रंग-बिरंगी प्रकृति, मकरन्द मधुर महक रहा ।
कोयलिया कुहुँक रही, खगकुल चहँक रहा ॥......बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!
bahut sundar
मिलजुल रहें सब स्नेहमय अपनापन हो ॥नवल का संधान हो, नूतन विहान हो ।
ईश्वर करें, ऐसा ही हो....
बहुत ही सुन्दर, मनमोहक रचना रची आपने....
सुन्दर कामना, शुभकामनायें!
उत्कृष्ट कविता ममता जी बधाई और शुभकामनाएँ |
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