गुदड़ी में कालीन छुपाये
गली-गली जो भटके हैं
जनता को वश में करने
किये जिन्होंने टोटके हैं
वही आज देखो
आसमान से गिरे
खजूर पर अटके हैं
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यथार्थ
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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माँ-बाप का दुत्कारत हैं औ कूकुर-बिलार दुलारत हैं यहि मेर पुतवै पुरखन का नरक से तारत है ड्यौढ़ी दरकावत औ ढबरी बुतावत है देखौ कुलदीपकऊ ...
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गाँव में हेंवँत का सबेर कुहरा का लबादा ओढ़कर आता था पर... पर देश की राजधानी में दिनभर कुहरे सी चादर तनी है पर यह कुहरा नहीं है ...
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