पग बढ़े गाँव की ओर।
ओस की बूँदों से भीगी भोर।
सूरज की किरणें चमकें जहां मन खोल
और कुहरा करे प्रतियोगिता जी-तोड़।
पग बढ़े गाँव की ओर।।
घाम-घमौनी
सूरज और कुहरे की
आँख मिचौली
सब जहाँ घटे चहुँ ओर
पग बढ़े गाँव की ओर
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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