अरे तुम
जुगनुओं की झिलमिल को
उजाला समझ ठहर गये।
उठो तुम्हें सूरज के
आलोक तक जाना है।
भारत भव्य बनाना है।।
जुगनुओं की झिलमिल को
उजाला समझ ठहर गये।
उठो तुम्हें सूरज के
आलोक तक जाना है।
भारत भव्य बनाना है।।
रिश्ते-नाते, जान-पहचान औ हालचाल सब जुड़े टके से। टका नहीं यदि जेब में तो रहते सभी कटे-कटे से।। मधुमक्खी भी वहीं मँडराती मकरन्द जहाँ वह पाती ...
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