समय
समय से आता है
और अपना काम करता रहता है
वह अपने काम से
जाता है
अथवा नही
इसका ज्ञाता
मात्र विधाता है
हमें बस यही पता है
कि समय,
समय से आता है।
अपने आने में
उसने कभी आलस्य
नही किया है
तथा आज तक
अनवरत् चल रहा है
बिना भविष्य की चिन्ता किये
यदि समय आलस्य करने लगे
तो कामचोरों का
हिसाब रखकर उनको
उनकी कामचोरी की सज़ा
भला कौन देगा?
और कौन देगा
कर्मठ व्यक्तियों को
उनके कार्य का
सुपरिणाम?
इसलिये
नीर-क्षीरे विवेक को
बनाये रखने के लिये
समय निरन्तर चल रहा है
और अनन्त काल तक चलता रहेगा।
Friday, August 29, 2008
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यथार्थ
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