Tuesday, September 24, 2013

पितरों को अर्पित...

पितृपक्ष पितरों को अर्पित,
उनको श्रद्धासुमन समर्पित ।
उनके प्रति हो कृतज्ञ आज
श्रद्धा का कण-कण समर्पित ॥
अगियारों की मधु-सुगन्ध से,
पुष्पों के बहुरूप-वर्ण से,
आँगन-द्वार-पिछवार सुगन्धित,
हर घर की ड्योढी है सज्जित ॥
प्रथम वस्तु है अर्पित उनको,
पुष्प, दुग्ध, घृत, अगरु, चन्दन ।
सुस्वादु, सरस, मधुमिश्रित,
बहुविधि रुचिभरे व्यञ्जन ॥
इस जीवन के स्थूल सत्य का
सूक्ष्म तत्त्व से साक्षात्कार ।
वेदिका बना यह पितृपक्ष,
संवाहक पितरों का सत्कार ॥
त्याग, तपस्या विनयभाव का
अनुपम यह पखवारा है ।
यह विना किसी पाठ्यक्रम
अद्भुत संस्कारशाला है ॥

4 comments:

Anonymous said...

अनूठी सोच की प्रशंसनीय प्रस्तुति

Anonymous said...

अनूठी सोच की प्रशंसनीय प्रस्तुति

Anand murthy said...

bahut sunder.....poorvajo ko saader naman..

visit here also..that will be my pleasure

anandkriti
http://anandkriti007.blogspot.com

संतोष पाण्डेय said...

श्राद्ध पक्ष और पितरों पर इससे बेहतर कविता नहीं पढ़ी।

यथार्थ

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