पितृपक्ष पितरों को अर्पित,
उनको श्रद्धासुमन समर्पित ।
उनके प्रति हो कृतज्ञ आज
श्रद्धा का कण-कण समर्पित ॥
अगियारों की मधु-सुगन्ध से,
पुष्पों के बहुरूप-वर्ण से,
आँगन-द्वार-पिछवार सुगन्धित,
हर घर की ड्योढी है सज्जित ॥
प्रथम वस्तु है अर्पित उनको,
पुष्प, दुग्ध, घृत, अगरु, चन्दन ।
सुस्वादु, सरस, मधुमिश्रित,
बहुविधि रुचिभरे व्यञ्जन ॥
इस जीवन के स्थूल सत्य का
सूक्ष्म तत्त्व से साक्षात्कार ।
वेदिका बना यह पितृपक्ष,
संवाहक पितरों का सत्कार ॥
त्याग, तपस्या विनयभाव का
अनुपम यह पखवारा है ।
यह विना किसी पाठ्यक्रम
अद्भुत संस्कारशाला है ॥
4 comments:
अनूठी सोच की प्रशंसनीय प्रस्तुति
अनूठी सोच की प्रशंसनीय प्रस्तुति
bahut sunder.....poorvajo ko saader naman..
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anandkriti
http://anandkriti007.blogspot.com
श्राद्ध पक्ष और पितरों पर इससे बेहतर कविता नहीं पढ़ी।
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